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चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया ?, Charbagh Station 10 हैरान करने वाली बातें!

चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया

चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया

चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित Charbah ralway staion का अपना एक अलग ही महत्व है, इस लेख में हम आपको ये भी बताएंगे कि चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया, इसके साथ ही चारबाग रेलवे स्टेशन के बारे में बहुत सी ऐसी जानकारियां बी देंगे जो आपने शायद पहले कभी न सुनी हो, हम आपको बता दें कि चारबाग़ शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, इसमें बाग़ का अर्थ एक वर्गाकार (स्वायर) ख़ाका है, इसमे एक वर्गाकार हिस्से को चार वर्गों में बांटा जाता है। आगे हम आपको इस लेख में ये भी बताने वाले हैं कि चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया है।

(1) चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया (Who built Charbagh Railway Station?)

Charbagh Railway Station

अगर हम बात करें कि चारबाग रेलवे स्टेशन किसने बनवाया, तो 21 मार्च 1914 को लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन की नीव बिशप जॉर्ज हर्बर्ट ने रखी थी, लखनऊ के इस मशहूर स्टेशन की डिजाइन की योजना जेएच हर्नीमेन ने बनाई थी जबकि 1923 में इस स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा होने में 9 साल लग गए थे

(2) चारबाग क्यों प्रसिद्ध है? (Why is Charbagh famous?)

लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन किसी महल से कम नहीं है, अपने बेहतरीन आर्किटेक्चर के मामले में यह स्टेशन देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक मशहूर है, आज से 100 साल पहले अंग्रेजों के जमाने में इस स्टेशन का निर्माण हुआ था, अपने बड़े गुम्बद और मीनारों से सुसज्जित इस स्टेशन के बीचो बीच एक सुंदर बग़ीचा भी है इसे देखने से यह एक महल जैसा लगता है इसकी खास बात ये है कि अगर इसे आसमान से देखा जाए तो यह स्टेशन शतरंज की मोहरों जैसा दिखता है,

चारबाग कहां है (where is charbagh)

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चारबाग रेलवे स्टेशन स्थित है, चारबाग स्टेशन की ऐतिहासिक और सुंदर बनावट हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है, चारबाग रेलवे स्टेशन देश के सबसे सुंदर और भव्य स्टेशनों में जाना जाता है। इसके साथ ही हम ये भी आपको पहले ही बता चुके हैं कि चारबाग रेलवे स्टेशन को किसने बनवाया था।

(3) चारबाग की शुरुआत किसने की थी? (Who started Charbagh?)

देश के सबसे सुंदर स्टेशनों में गिने जाने वाले चारबाग रेलवे स्टेशन की शुरुआत की बात करें तो, इसकी नींव बिशप जॉर्ज हर्बर्ट ने रखी थी। 21 मार्च 1914 को इस स्टेशन के निर्माण की शुरुआत हुई थी। इसके साथ ही इस रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा होने में करीब 9 साल लग गए थे। उसके बाद इस स्टेशन से ट्रेनों को दौड़ाने का काम शुरू हो गया था।

चारबाग रेलवे स्टेशन की नीव बिशप जॉर्ज हर्बर्ट ने रखी थी

(4) चारबाग रेलवे स्टेशन की विशेषताएं

चारबाग रेलवे स्टेशन की विशेषताएं

(Features of Charbagh Railway Station)

अब हम आपको Charbagh Railway स्टेशन की खूबियों के बारे में बताने वाले हैं। चारबाग रेलवे स्टेशन कैसा दिखता है, चारबाग स्टेशन से बाहर आवाज क्यों नहीं आती, इसके साथ ही चारबाग स्टेशन की नींव किसने रखी थी, इन सभी विषयों पर भी बात करेंगे।

(5) चारबाग रेलवे  स्टेशन आसमान से कैसा दिखता है

 

चारबाग़ रेलवे स्टेशन लखनऊ के तीन मुख्य रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह शानदार रेलवे स्टेशन अवध और रोहिलखंड रेलवे (O&RR) का मुख्यालय हुआ करता था, जिसकी लखनऊ से कानपुर (kanpur) तक पहली रेलवे लाइन अप्रैल के महीने में साल 1867 में बनी थी। चारबाग रेलवे स्टेशन की खास बात यह है कि यह आसमान से देखने से ऐसा लगता है कि मानो शतरंज की मोहरे बिछी हों। जिस वक्त भारत में अंग्रेजों की हुकूमत थी, उसी समय इसको साल 1867 में रेलवे स्टेशन में बदला गया, इससे पहले चारबाग रेलवे स्टेशन की जगह एक बाग था।

(6) ट्रेन की आवाज बाहर नहीं आती

(7) स्टेशन की नींव अंग्रेजों ने रखी थी
(8) 70 लाख थी कीमत

(9) लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन की महत्वपूर्ण जानकारी

लखनऊ का मशहूर और खूबसूरत चारबाग रेलवे स्टेशन उत्तर रेलवे के Lucknow डिवीजन के द्वारा संचालित किया जाता है।  इस चारबाग रेलवे स्टेशन का कोड LKO और आधिकारिक नाम लखनऊ NR है।

 

लखनऊ चारबाग स्टेशन फोटो की बात करें तो, जितना  ये खूबसूरत है इसकी फोटो भी उतनी ही शानदार आती है। आसमान से देखने पर ये शतरंज की बिछी मोहरों की तरह नजर आता है। भारत के सुंदर रेलवे स्टेशनों में इसको भी गिना जाता है।

(10) गांधी-नेहरू की पहली मुलाकात यहीं हुई थी (First meeting of Gandhi-Nehru)

First meeting of Gandhi-Nehru

देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू पहली मुलाकात Nawabi Shaher लखनऊ में ही हुई थी। उत्तर प्रदेश की राजधानी और देश के सबसे सुंदर रेलवे स्टेशनों में शुमार यहां के चारबाग रेलवे स्‍टेशन पर दोनों लौह पुरुष मिले थे। दोनों ने यहीं बैठकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बहुत अहम प्‍लानिंग की थी। जब इस बात का बता अंग्रेजों को चला तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई थी।

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