SD Burman किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनको हिंदी सिनेमा में संगीत के उत्कृष्ट योगदान के लिए जाना और पहचाना जाता है। एसडी बर्मन ने संगीत को न सिर्फ नई ऊंचाइयों तक पहुचाया, बल्कि एक से बढ़कर एक नगमों में संगीत देकर हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को सजाया। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में 100 से ज्यादा फिल्मों में अपनी दी गई धुनों से मनमोहक गानों को सजाया।
एसडी बर्मन ने महान गायक और सुरों के सरताज मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और इसी के साथ मुकेश जैसे शानदार सिंगर्स के साथ काम किया है। आपको बता दें कि एसडी बर्मन शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे। 19 के दशक में एसडी बर्मन के लिखे शानदार गानों का बोलबाला था और ये गाने आज भी पसंद किये जाते हैं।
SD Burman का जन्म बांग्लादेश के शाही परिवार में हुआ
SD Burman 1 अक्टूबर सन् 1906 में बांग्लादेश में पैदा हुए थे। त्रिपुरा में शाही परिवार से एसडी बर्मन ताल्लुक रखते हैं। उनकी पैदाइश टिप्पेराह पैलेस, बंगाल प्रेसीडेंसी में हुई थी। एसडी बर्मन की मां का नाम निर्मला देवी था, जो मणिपुर की शाही राजकुमारी थीं। एसडी बर्मन के पिता का नाम नवदीप चंद्र देव बर्मन था। सचिन देव बर्मन बचपन में जब दो साल के थे, तभी उनकी मां का स्वर्गवास हो गया था। एसडी बर्मन की शादी की बात करें तो उनका विवाह मीरा दास गुप्ता से हुआ था। मीरा दास गुप्ता बंगाली और हिंदी फिल्मों के लिए गाने लिखा करतीं थीं।
SD Burman ने 100 से ज्यादा फिल्मों में दिया संगीत
SD Burman ने अपने करियर की शुरुआत साल 1937 में कर दी थी। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिये भी संगीत तैयार करना शुरु कर दिया। हिंदी और बंगाली फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया। दोनों को मिलाकर करीब उन्होंने 100 फिल्मों में उपनी धुनों से संगीत को सजाया और नगमों को यादगार बना दिया।
इस फिल्मों के लिए एसडी बर्मन ने उस दौर के बड़े सिगर्स जिसमें किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी और इसी के साथ साथ आशा भोसले, तलत मेहमूद जैसे शानदार गायकों के साथ काम किया और उनके गाए नगमों संगीत से सजाया। शायद ही आपको पता हो कि एसडी बर्मन के बेटे आरडी बर्मन ने भी संगीत की दुनिया में शानदार गाने दिए हैं।
SD Burman ने दिये शानदार नगमें
हिंदी सिनेमा के जाने माने संगीतकार सचिन देव बर्मन को एसडी बर्मन के नाम से लोग जानते हैं। सचिन देव बर्मन ने बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के साथ ही हिंदी फिल्म जगत में भी अपना अहम योगदान दिया है। उन्होंने दोनों फिल्म इंडस्टई में मनमोहक गाने दिए हैं।
इसमें अगर गानों की बात करें तो ‘कोरा कागज था ये मन मेरा’, इसी के साथ ‘मीत न मिला रे मन का’, और ‘तेरी बिंदिया रे’, ‘अब तो है तुमसे हर खुशी अपनी’, ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’,’एक लड़की भीगी भागी सी’ और ‘रूप तेरा मस्ताना’ जैसे एवरग्रीन नगमे शुमार हैं। 19 के दशक में हर कोई इन गानों को गुनगुनाया करता था। तब से अब तक इन गानों को लोग आज भी पसंद करते हैं और ये गाने आज भी सुनने को मिल जाते हैं।