15 August 2024 Special में आज आपको आजादी की ऐसी अनसुनी अमर वीरगाथा सुनाते हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। वैसे तो आप भारत के वीर सपूतों के बारे में आप पढ़ ही चुके हैं। लेकिन आज हम ऐसी कहानी सुनाएंगे जिसे शायद ही आपने सुनी हो। भारत को आजादी के लिये अंग्रेजों से लोहा लेते हुए देश के वीर सपूतों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।
15 August 2024 Special: बाराबंकी में भी दहकी थी आजादी की आग
इसी तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले से भी कई ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए, जो देश को आजादी दिलाने के लिए कुर्बान हो गये। इनमें से कई स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत से टकराने के चलते कठोर कारावास और जुर्माना भी झेलना पड़ा था। यहां तक कि उस दौरान अंग्रेजों ने गांव के कुओं में मिट्टी का तेल और गांव का सारा राशन तक फेंकवा दिया था जिससे क्रांतिकारियों के हौंसले को तोड़ा जा सके।
15 August 2024 Special: बाराबंकी में सुभाष चंद्र बोस का कार्यक्रम
दरअसल, देश को मिली आजादी से पहले बाराबंकी जिले के दरियाबाद क्षेत्र में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसके बाद देश के अंदर आजादी को लेकर क्रांति आग की तरह फैल गई थी। वहीं देश के राष्ट्रपति यानी महात्मा गांधी ने भी बाराबंकी जिले का दो बार दौरा किया था।
वर्ष 1930 में महात्मा गांधी के दांडी मार्च के बाद बाराबंकी जिले में आजादी को लेकर लोगों में क्रांति की आग धधक उठी थी। साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर देश में छिड़ी मुहिम में यहां के लोगों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। ऐसे में उन लोगों का अपने ऊपर फख्र करना लाजमी ही हो जाता है, जिनके परिवार के लोगों ने इस आजादी के लिए यातनाएं झेलीं और कुर्बानियां दीं।
15 August 2024 Special में हरख की बात
15 August 2024 Special में आपको बताते हैं कि हरख क्षेत्र कैसे है क्रांतिकारियों का गढ़। उत्तर प्रदेश के जनपद बाराबंकी में जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर हरख क्षेत्र भी आज उन्ही क्रांतिकारियों के नाम से जाना जाता है। जिन्होंने देश की आजादी को लेकर उस दौर में काफी संघर्ष किया था। हरख से ऐसे सैकड़ों लोग हुए जिन्होंने अंग्रेजों से डटकर लोहा लिया और उनका सामना किया। उन सैकड़ों क्रांतिकारियों में से 18 ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जेल में सलाखों के पीछ भी गए।
15 August 2024 Special में बात जब गोरों को पहनाई जूतों की माला
यहां के क्रांतिकारियों ने उस दौरान अंग्रेजी अफसर को न सिर्फ जूतों की माला पहना दी थी, बल्कि अंग्रेजी डाक और रेलवे स्टेशन को भी उस वक्लूत ट लिया था। जिसके बदले उन्हें काफी संघर्ष का समान करना पड़ा था। ऐसे क्रांतिकारियों में हरख के शिव नारायण, रामेश्वर, कामता प्रसाद, सर्वजीत, कल्लूदास, रामचंदर, श्रीकृष्ण, श्रीराम, मक्का लाल, सर्वजीत सिंह, राम चंद्र, कालीचरण, बैजनाथ प्रसाद, रामगोपाल, रामकिशुन, द्वारिका प्रसाद और मास्टर समेत 18 लोगों शुमार थे।
साल 1972 में तत्कालीन भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमला पति त्रिपाठी ने इन सभी लोगों को ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया था। वहीं गांव के पास स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नाम से द्वार आज भी बना हुआ है।