Raksha Bandhan Special: रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई?, ये हैं पौराणिक मान्यताएं!

Raksha Bandhan special: भाई-बहन के दिल की गहराइयों से जुड़े रिश्ते को निभाने के लिये रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस रक्षाबंधन स्पेशल (Raksha Bandhan special) लेख में हम इस त्योहार के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह त्योहार भाई और बहनों के अटूट बंधन और प्रेम के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है। इस रक्षाबंधन स्पेशल (Raksha Bandhan special) के खास दिन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर अपने प्यार और स्नेह की निशानी के तौर पर रेशम की डोरी वाली राखी या फिर रक्षासूत्र बांधती है।

रक्षाबंधन पर भाई अपनी बहन को क्या देता है वचन? (What promise does a brother make to his sister on Raksha Bandhan?)

रक्षासूत्र इसको इस लिये कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भाई अपने बहन की रक्षा का प्रण लेता है। वहीं, राखी बांधते वक्त बहन कामना करती है कि उसके भाई की उम्र लंबी हो। वहीं इसके बाद भाई राखी बंधवाने के बाद अपनी बहनों को उसकी रक्षा करने का वचन देता है। राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी बहन को तोहफा भी देता है। भाई-बहन के इस खूबसूरत त्योहार के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आज हम इस लेख में यह जानेंगे कि राखी बंधवाने की शुरुआत कैसे हुई ? (how rakhi tying started?)।

Raksha Bandhan

Raksha Bandhan special: रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथा (Raksha Bandhan se judi katha)

राखी के त्योहार को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में रक्षासूत्र बांधा था, और इसके बदले के तौर पर उनसे अपने पति भगवान विष्णु को मांग लिया था। कथा के मुूताबिक, प्रभु नारायण ने वामन का अवतार लिया और दानवराज बलि के समीप पहुंचे और उनसे दान मांग लिया।

इस दौरान राजा बलि ने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि दान करने का वचन दिया। भगवान विष्णु ने एक पग से आकाश लोक इसके साथ ही दूसरे पग से पाताल लोक को नापा और जैसे ही तीसरा पग उठाया तो राजा बलि का घमंड टूट गया और उसने अपना सिर भगवान विष्णु के सामने झुका दिया।

Raksha Bandhan special: मां लक्ष्मी और राजा बलि (Maa Lakshmi and King Bali)

तब भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर राजा बलि से वरदान मांगने को कहा। उसके बाद वरदान मांगते हुए राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि प्रभु आप हमेशा मेरे सामने रहें। इस पूरे मामले का ज्ञान जब मां लक्ष्मी को हुआ तो वह परेशान हुईं और विष्णु को वापस लाने के लिए रूप बदलकर राजा बलि के पास जा पहुंची।

Raksha Bandhan pic

उन्होंने वहां राजा बलि को अपना भाई माना और उनके हाथों में अपनी तरफ से रक्षासूत्र बांध दिया। माता लक्ष्मी ने फिर उसके बाद अपने भाई राजा बलि से भगवान विष्णु को मांग लिया था। कहा जाता है कि इसी दिन से रक्षासूत्र बांधने की परंपरा की शुरू हुई थी।

Raksha Bandhan special: रक्षाबंधन से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा

रक्षाबंधन से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के दौरान एक बार भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट आ गई थी, और उस अंगुली से खून निकलने लगा। ये देखकर द्रौपदी जो कृष्ण जी की सखी भी थी उन्होंने आंचल का पल्लू फाड़कर उनकी कटी अंगुली पर बांध दिया। धार्मिक मान्यताओं के की मानें तो, इसी दिन से रक्षासूत्र या फिर यूं कहें कि, राखी बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई।

Raksha Bandhan special: रक्षाबंधन 2023 की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है? (What is the date and auspicious time of Raksha Bandhan 2023?)

  1. सावन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत:  10 बजकर 58 मिनट से (30 अगस्त 2023)
  2. पूर्णिमा तिथि का समापन: 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर रक्षाबंधन की तिथि- 30 और 31 अगस्त 2023
  3. राखी बांधवाने का शुभ मुहूर्त: 30 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट से 31 अगस्त की सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक

 

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